देशभर में बाघ के हमलों से पिछले तीन साल में 106 मौतें हुईं, जिनमें से 80 अकेले महाराष्ट्र में हुईं। इन 80 में भी 50 शिकार चंद्रपुर जिले में बनाए गए। इसी चंद्रपुर में आता है- ब्रह्मपुरी वन क्षेत्र। आंकड़ों के अनुसार, 2021 में महाराष्ट्र में 350 बाघ थे, जो 2022 में 400 हो गए यानी 12% बढ़ गए, लेकिन इसी दौरान बाघ के हमलों में मरने वाले लोग 5 से बढ़कर 80 तक पहुंच गए यानी 1600% का उछाल हुआ।
बड़ी वजह यह है कि बाघों की संख्या जंगल की क्षमता से ज्यादा हो गई है। इसलिए वे बाहर निकल रहे हैं और आसपास के खेतों में काम करने वाले लोगों को निशाना बना रहे हैं। ब्रह्मपुरी वन क्षेत्र के आवळगाव रेंज के फॉरेस्ट ऑफिसर एपी कारंडे बताते हैं कि पहले बाघ ढाई साल में प्रजनन करते थे, अब सवा साल में करने लगे हैं। पहले एक बार में पैदा होने वाले 4 शावकों में एक जीवित रहता था, अब चारों जीवित रहते हैं। वन विभाग के अफसरों का कहना है कि ब्रह्मपुरी वन क्षेत्र में एक ही हमलावर बाघ था। हमने उसे पकड़कर स्थानांतरित कर दिया है। जबकि, गांववालों का कहना है- तीन बाघ थे, जिनमें से केवल एक का ही स्थानांतरण किया गया है।
चंद्रपुर जिले के पहार्णी गांव के मंगेश ने बताया कि 26 नवंबर को वह माता-पिता के साथ खेत में काम कर रहे थे। तभी मां गायब हो गईं। आसपास देखा तो खून के निशान मिले। उनका पीछे करते हुए बढ़े तो देखा कि 3 बाघ मेरी मां को नोंच रहे थे। हम जोर-जोर से चीखते रहे, लेकिन बाघ नहीं हटे। बाघों ने मां का सिर धड़ से अलग कर दिया। उस खौफनाक मंजर से आज भी मेरा कलेजा कांप उठता है।