नई दिल्ली: वह पढ़-लिखकर करियर बनाने के सपने देख रही थीं, लेकिन हालात ऐसे बने कि 18 साल की उम्र में शादी करनी पड़ी। खुशहाल जिंदगी बीत रही थी कि पति बीमार रहने लगे। जांच से पता चला कि वह एचआईवी संक्रमित हो गए हैं। उनका छोटा बेटा और वह खुद भी इस वायरस की चपेट में आ चुकी थीं। पति के इलाज के लिए उन्होंने घर तक बेच दिया, लेकिन उन्हें बचा नहीं सकीं। बेटे को भी टीबी ने छीन लिया।
वह खुद इस कदर बीमार पड़ीं कि डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। लेकिन, मौत को मात देकर वह लौट आईं। अब वह दूसरों को बचाने और एचआईवी संक्रमितों की जिंदगी संवारने के लिए देशभर में मुहिम चला रही हैं। इस दौरान उन्हें कदम-कदम पर भेदभाव झेलने पड़े, अपनों का साथ छूटा, लेकिन वह आज भी डटी हुई हैं।