इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को फिल्म आदिपुरुष के आपत्तिजनक डायलॉग के मामले में लगाई गई याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि हर बार हिंदुओं की सहनशक्ति की ही परीक्षा क्यों ली जाती है? शुक्र है उन्होंने (हिंदुओं ने) कानून नहीं तोड़ा।कोर्ट ने भगवान राम और भगवान हनुमान सहित धार्मिक पात्रों को आपत्तिजनक तरीके से पेश करने के लिए फिल्म आदिपुरुष के निर्माताओं की आलोचना भी की। कोर्ट ने फिल्म के सह-लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला को मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया। साथ ही उन्हें नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।
हाईकोर्ट ने आगे कहा- जो सज्जन हैं उन्हें दबा देना सही है क्या? यह तो अच्छा है कि यह एक ऐसे धर्म के बारे में है, जिसके मानने वालों ने कोई पब्लिक ऑर्डर प्रॉब्लम क्रिएट नहीं की।
हमें उनका आभारी होना चाहिए। हमने न्यूज में देखा कि कुछ लोग सिनेमा हॉल (जहां फिल्म प्रदर्शित हो रही थी) गए थे और उन्होंने वहां जाकर लोगों को सिर्फ हॉल बंद करने के लिए मजबूर किया, वे कुछ और भी कर सकते थे।
कोर्ट ने कहा- ये याचिका इस बारे में है, जिस तरह से ये फिल्म बनाई गई है। कुछ धर्मग्रंथ हैं, जो पूजनीय हैं। कई लोग घर से निकलने से पहले रामचरित मानस पढ़ते हैं।