जाति प्रमाणपत्र 8 महीने से लंबित

भारतीय संविधान ने सभी जाति के लोगों को जाति के आधार पर समानता का अधिकार प्रदान कर आरक्षण की सुविधा प्रदान की गई है।इसके लिए केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा पिछड़े एवं अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को जाति प्रमाणपत्र के माध्यम से आरक्षण का लाभ दिया जाता है। जाति प्रमाणपत्र बनवाने हेतु आसानी व सुलभ हो इसके लिए राज्य सरकार ने समय समय पर समिति को दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिसमें विहित मंजुर कालावधी में आवेदक के जाति का सत्यापन कर मामले को प्रलंबित ना रख अंतिम निकाल देकर निपटारा किया जाए । लेकिन भंडारा जाति सत्यापन समिति ने शासनादेश की अवहेलना कर कई आवेदको के प्रस्ताव प्रलंबित रख ऑफिस देरी कायदे का शिस्तभंग कर तथा विहित अवधी मे जाति प्रस्ताव का निपटारा ना किये जाने से समिती के कार्यशैली पर सवाल उठाया जा रहा है।
__लाखनी के सामाजिक कार्यकर्ता शमीम शफी आकबानी ने उनकी लड़की आयशा शमीम आकबानी जात कच्ची अनुक्र.(८५) ओबीसी की जाति प्रमाणपत्र बनवाने हेतु भंडारा जाति सत्यापन समिति में प्रस्ताव १६-२-२०२३ को दिया था जो कि आज तक समिती में प्रलंबित ही है ८ महीने होने के बावजूद भी समिति को उनकी जाति की सत्यता सत्यापन करने में लग रहे है जबकि शासनद्वारा लगने वाले सभी पुरावे, जुने जाति दस्तावेज, मानिव तारीख १३ अक्टूबर १९६७ के पहले के जुने जातिय दस्तावेज प्रस्तावित किए गये है। भंडारा जाति सत्यापन समिति में जातिय सुणावणी भी समिति के अध्यक्ष के उपस्थिति में ना लेकर मामला दक्षतापथको को दे दिया जाता है।मानिव तारीखों के पहले के जातिय दस्तावेज देने के बावजूद भी समिति की ओर से सत्तर -अस्सी साल पहले के मुल निवासी वास्तविक महाराष्ट्र रहिवासी के जुने जातिय दस्तावेज मांगे गए वह भी दक्षतापथक के माध्यम से आवेदक की ओर से देने के बाद भी समिति की ओर से ठोस कदम उठाए नहीं गये। भंडारा जातिय सत्यापन समिति को कच्ची जाति की सत्यापन हेतु आसानी हो इसके लिए आवेदक के ओर से कच्ची जाति प्रमाणपत्र जुना अनुक्र.७२ नागपुर जातिय सत्यापन समिति की ओर से जारी २०१५ को किया गया और भंडारा जातिय सत्यापन समिति की ओर से जारी किया गया संबंधित जाति का पारिवारिक रिश्तेदार का प्रमाणपत्र २०१८ का दोनों विभागों के प्रमाणपत्र दिए गए हैं फिर भी अभी तक भंडारा समिति के ओर से विहित कालावधी में समय पर आवेदक को जाति प्रमाणपत्र ना देकर भंडारा जातिय सत्यापन समिति के शासकीय कार्यशैली पर सामाजिक कार्यकर्ता शमीम आकबानी ने अपना रोष व्यक्त किया है