300 स्वास्थ्य संस्थाएं बाल रोग विशेषज्ञों के बिना

गोंदिया :- कोरोना की पहली और दूसरी लहर के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट हो गई थी.जहां बेड हैं वहां ऑक्सीजन नहीं और जहां ऑक्सीजन है वहां दवाएं और डाक्टर नहीं.इस बीच एक गंभीर मुद्दा यह भी है कि जिले के सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं में बाल रोग विशेषज्ञ नहीं हैं.इसलिए अगर कोरोना जैसी दूसरी बीमारी की लहर आती है तो स्वास्थ्य विभाग उसे कैसे रोकेगा ?कोरोना की दो लहर के कारण जिले में बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई.बेड,ऑक्सीजन,दवाइयों की कमी थी जिसका दबाव स्वास्थ्य संस्थाओं और वहां काम करने वालों पर पड़ा.परिणामस्वरूप इलाज के अभाव में कई लोगों की जान चली गई.स्वास्थ्य विभाग ने नए वायरस से संक्रमण की आशंका जताई है.उसी प्रकार वर्तमान समय में महामारी फैली हुई है.उसमें छोटे बच्चों पर इसका असर बड़े पैमाने पर देखने को मिल रहा है.जिले में 40 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 258 उप स्वास्थ्य केंद्र और 10 ग्रामीण अस्पताल हैं. लेकिन एक गंभीर मामला यह सामने आया है कि इनमें से किसी भी अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ नहीं है.आज इन सभी संस्थाओं में बच्चों का इलाज किया जा रहा है.लेकिन उनकी देखभाल और इलाज के लिए किसी भी संस्था में स्वतंत्र डाक्टरों की नियुक्ति नहीं की गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि भविष्य के खतरों से कैसे निपटा जाए.